उमड़-घुमड़
आये ये बदरा
आँखों
में लगा के जैसे कजरा
बारिश
करें ये ऐसे
बूंदों
का जैसे गजरा
सुबह
में ही शाम घटा ये लगे
छाँव
की सुहानी छटा ये लगे
ऐसे
में कैसे आवारा ना मन हो
जरा जरा बादल कटा सा लगे
सिरहन
सी पूरे बदन में लगे
इक
अनजानी सी चाहत जगे
ऐसे
में चादर में आये कोई
बारिश
जवानी को यूँ ना ठगे
पवन
तिवारी
सम्पर्क –
7718080978
poetpawan50@gmail.com
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