सच्चा प्रेम समर्पण है
प्रेम में सब अर्पण है
प्रेम त्याग का दर्पण है
लोक-लाज सब तर्पण है
महलों की रानी दीवानी है
दर-दर कृष्ण कहानी है
कृष्ण से उसकी ऐसी लगन है
जग भूली वो श्याम मगन है
हँसते-हँसते गरल पिया है
तब जाकर कहीं पिया मिला है
ऐसा प्यार कहाँ मिलता है
तब जाकर कहीं रब मिलता है
poetpawan50@gmail.com
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