यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 27 मार्च 2023

मेरा सविनय निवेदन

 


मेरा सविनय  निवेदन था ठुकरा दिया

व्यंग्य का उसमें छोटा सा था पुट दिया.

दूसरे  द्वार पर  तुम  भी  कर  जोड़े थे

तुमको उपहार  उपहास का था दिया

 

तुम किसे  चाहते  गौण  सा  प्रश्न  है

चाहता  कौन  तुमको  महा  प्रश्न  है

छोड़ अवगुण तुम्हारे जो गुण देखे सब

उसको आदर  दो उत्तर यही प्रश्न है

 

लोग पछताए  कितने   है  गणना नहीं

आये अवसर तो कथनों में पड़ना नहीं

कान धरना नहीं  जग की बातों में तुम

सुनना अंतः की पर जग से लड़ना नहीं

 

प्रेम वाले को  देना न अपमान तुम

हल नहीं है अगर देना सम्मान तुम

इक नशा  रहता है ऐसे उर में सदा

सो बिना  सोचे ना  छेड़ना तान तुम

 

पवन तिवारी

सम्वाद - ७७१८०८०९७८   

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