उसको
छलना था सो छल के चली गयी
किन्तु
अभागा मन भटकता
रहता है
खुद
तो है आवारा
अपमानित होता
और मुझे अक्सर समझाता
रहता है
उसे
झटकना चाहू जब
भी हिय से मैं
नये
बहाने खोज खोज के लाता है
याद
करो मत उसको ये कह करके वो
उसकी
याद दिलाकर बहुत रुलाता है
इसको
काबू में करना आवश्यक है
इस
शातिर मन के कारण दुःख ज्यादा है
जितना भी
दुःख लोगों के जीवन में है
उसमें हिस्सा
पक्का मन का आधा है
राजा हो
आओगे मानो बात
मेरी
इस
पर जिसने अंकुश रखना सीख लिया
अवश्मेध
और राजसूय तो कुछ भी नहीं
समझो
उसने सारा ही जग जीत लिया
पवन
तिवारी
३१/०३/२०२२
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