ख्वाबों में आने वाली तुम
नई कहानी हो
अधर तुम्हारे हैं गुलाब की
पंखुड़ियाँ
नैनों में बसती हैं जादूगरनियाँ
खूबसूरती की तुम चढ़ी जवाने
हो
परी हो या तुम परियों की
रानी हो
स्त्री हो या कविता का तुम
श्रृंगार हो
श्लेष,यमक,अनुप्रास कौन सा
अलंकार हो
दुःख में भी तुम्हे देख के
हुलसित हो जाए मन
रोम-रोम खिल उठे सिहर उठे
सारा तन
शची हो या तुम और कोई तुम
क्या हो
परी हो या तुम परियों की
रानी हो
केशों को झटको तो घटा घिर
आये
चाल देखकर हिरनी भी शरमा जाए
चाल देखकर हिरनी भी शरमा जाए
तेरी कटि के लचक का भी क्या
कहना
तेरा इक-इक अंग सुनहरा सा गहना
क्या सच में इस जग की रानी
हो
परी हो या तुम परियों की
रानी हो
अभी तक हो सुरक्षित खुसी है
मुझको
जग है बेमुरव्वत इसका डर
मुझको
ये हंसी ये खुशबू बिखेरती
तुम रहना
बस इतना सा तुमसे मेरा है
कहना
मीरा सी पावन लगती दीवानी
हो
परी हो या तुम परियों की
रानी हो
ये तुम्हारी काया सुगंधित
मलय है
बाँह तुम्हारी सुन्दर सी रेशममय
है
चेहरा तुम्हारा प्रात का
सूरज है
नयन तुम्हारा जैसे जलज है
सूर की तुम ब्रज या तुलसी
की अवधी हो
परी हो या तुम परियों की
रानी हो
जब लब खोलो निकले छंद सवैया
देख के तुमको हो न जाऊं
गवैया
इस हद तक मई तुम पर फ़िदा हो
गया हूँ
खुद की सुध नहीं है दीवाना
हो गया हूँ
तुम क्या काम देवी रति हो
परी हो या तुम परियों की रानी हो
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