यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 15 फ़रवरी 2017

बात अच्छी नहीं कुछ भी बोलना

बात अच्छी नहीं  कुछ भी बोलना
पहले तुम सोंचना बाद लब खोलना
दूसरों की उड़ाई है खिल्ली बहुत
अपने ऐबों पे भी जरा लब खोलना 


वादे करने निभाने में अंतर बहुत
सच को कहने में भी लगती ताक़त बहुत
अपनी शर्तों पे जीना है आसाँ नहीं
इसकी कीमत चुकानी है पड़ती बहुत 


छूट जाते हैं रिश्ते कई राह में
 नफरतें मिलती हैं ऐसे बाज़ार में
स्वाभिमानी को तो ठोकरें मिलती हैं
कांटे ही कांटे है ऐसे बागान में

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें