यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 22 मई 2018

नैनों से पहले विचारों में आया


नैनों से पहले विचारों में आया
नैनों से पहले जा उर में समाया
आसक्ति का व्याधि कैसे ये व्यापा
लगा ज्वल ये निज से न जाए बुझाया

अनुभव प्रणय से समझ में ये आया
आसक्ति ने जग को कैसे नचाया
तभी तो गृहस्ती बनी श्रेष्ठ्तम है
ऋषियों को भी रति ने भरमाया

अनुराग तुम ही विशेष,विशेषण
जीवन के तुम ही हो सबसे प्रमुख गण
तुम बिन बिरस सत्यतः है ये जीवन
तुम हो प्रहर्षित लगे पुनि तो प्रतिक्षण


पवन तिवारी

सम्पर्क ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail

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