यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 4 अप्रैल 2017

सुना है तुम कभी जाना नहीं चाहते

















सुना है तुम कभी मरना नहीं चाहते
अच्छा सोच लेते हो, पर दुर्लभ सोचते हो
हमेशा ज़िंदा रहना बहुत कठिन है, पर असम्भव भी नहीं
पर हाँ जमाने की रवायत के अनुसार
एक बार तो मरना पड़ेगा
पर मर कर भी तुम ज़िंदा रह सकते हो
पर मेरी कुछ शर्तें हैं जैसे ...कि
फिलहाल जब तक तुम
मरने की रवायत तक नहीं पहुँचते
तब तक तुम्हें उदास होंठों पर मुस्कान सींचनी होगी
बिलखते दिलों में धड़कती उमंग भरनी होगी
मजलूमों को अपनाकर अपनापन देना होगा
उजड़ते घरौंदों को घरौदों के रूप में ही बचाना होगा
दर्द से लरजते आँसुओं को पोछना होगा
उन्हीं आँखों में खुशियों के आँसू छलकाना होगा
जरूरतमंद के लिए तुम्हें दरवाज़ा खुला छोड़ना होगा
बोलो तुम तैयार हो मेरी इन शर्तों के लिए ...अगर हाँ तो
वादा नहीं करूँगा,बल्कि तुम्हारे सदा ज़िंदा रहने का
यमराज के सामने भी तुम्हारा जमानतदार बनूँगा
जब तुम मौत की रवायत वाली रस्म पूरी करके लौटोगे
देखना अचरज और खुसी से भर जाओगे
अब तुम्हारे न जाने कितने घर होंगे
लोग तुम्हारे लिए अपने दिल को ही घर बना देंगे
न जाने कितने दिलों में तुम्हार घर होगा
लोगों की जुबान पर तुम ज़िंदा रहोगे
फक्र और ईज्जत के साथ
नेकियाँ कभी नहीं मरती
वो दिलों में ज़िंदा रहती हैं
तुम सदा ज़िंदा रहोगे लोगों के दिलों में

वो भी पूरे सम्मान से ..... तो बोलो है मंज़ूर......!

इसका दूसरा संस्करण

सुना है तुम कभी जाना नहीं चाहते
अच्छा सोच लेते हो, पर दुर्लभ सोचते हो
हमेशा रहना बहुत कठिन है,
पर हाँ ज्यादातर लोग लौट नहीं पाते
 पर लौटना असम्भव भी नहीं
पर हाँ उसकी रवायत के अनुसार
एक बार तो जाना ही पड़ेगा
पर जाकर भी तुम ज़िंदा रह सकते हो
पर मेरी कुछ शर्तें हैं जैसे ...कि
फिलहाल जब तक तुम
जाने की रवायत तक नहीं पहुँचते
तब तक तुम्हें उदास होंठों पर मुस्कान सींचनी होगी
बिलखते दिलों में धड़कती उमंग भरनी होगी
मजलूमों को अपनाकर अपनापन देना होगा
उजड़ते घरौंदों को घरौदों के रूप में ही बचाना होगा
दर्द से लरजते आँसुओं को पोछना होगा
उन्हीं आँखों में खुशियों के आँसू छलकाना होगा
जरूरतमंद के लिए तुम्हें दरवाज़ा खुला छोड़ना होगा
बोलो तुम तैयार हो मेरी इन शर्तों के लिए ...अगर हाँ तो
वादा नहीं करूँगा,बल्कि तुम्हारे सदा ज़िंदा रहने का
यमराज के सामने भी तुम्हारा जमानतदार बनूँगा
जब तुम जाने की रवायत वाली रस्म पूरी करके लौटोगे
देखना अचरज और खुसी से भर जाओगे
अब तुम्हारे न जाने कितने घर होंगे
लोग तुम्हारे लिए अपने दिल को ही घर बना देंगे
न जाने कितने दिलों में तुम्हार घर होगा
लोगों की जुबान पर भी तुम ज़िंदा रहोगे
फक्र और ईज्जत के साथ
नेकियाँ कभी नहीं बेकार नहीं जाती
वो दिलों में ज़िंदा रहती हैं
तुम सदा ज़िंदा रहोगे लोगों के दिलों में
वो भी पूरे सम्मान से ..... तो बोलो है मंज़ूर......!
सम्पर्क- 7718080978


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