यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 12 अप्रैल 2017

जंगलों में भी उन्हें बाज़ार चाहिए




कुछ लोगों को ना घर ना तो परिवार चाहिए 

बर्बाद करें घर  वो  पैरोकार चाहिए

 बढ़ चली कुछ इस कदर व्यापार की हवस
जंगलों में भी उन्हें बाज़ार चाहिए

बनें हैं चिकित्सक बर्बाद होके वो
लोग उन्हें ढेर से बीमार चाहिए

सेवा के लिए तो नहीं चुनाव लड़े हैं
लूट के लिए उन्हें सरकार चाहिए

उनको न धरम से न करम से कोई मतलब
आपस में लादेन ऐसे कुछ गद्दार चाहिए

 उनको जहीन पढ़े-लिखे की नहीं दरकार
उनको निठल्ले और कुछ बेकार चाहिए

उनके भी पाँव पड़ लेंगे पसंद नहीं जो
बस फायदे के "पवन" कुछ आसार चाहिए

poetpawan50@gmail.com

सम्पर्क - 7718080978    

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