जिन्हें दुनिया समझती है-
बेकार, फ़ालतू या
ग़ैर ज़रूरी काम;
वे मेरे लिए
ज़रूरी कामों में शामिल हैं!
मेरे लिए मित्रों से
अकारण बतियाना
बेहद ज़रूरी काम है!
शाम को या मन हुआ तो
दोपहर में भी,
अकेले टहलते हुए
पहाड़ पर जाकर
नीचे बहती हुई
नदी को देखना भी
मेरे ज़रूरी कामों में शामिल है!
खेत में जाकर उसे निहारना,
उसकी मिटटी को सूँघना,
मेड पर बैठकर, दूब को नोचना
और कभी-कभी
मुंह में रखकर चबाना;
और महसूस करना उसका स्वाद,
यह भी मेरे लिए जरूरी काम है !
उनकी बातें सुनना,
अखबार पढ़ना, पुस्तकें पढ़ना,
यह सब मेरे लिए जरूरी काम हैं!
हां, फिल्म देखना
मेरे लिए महत्वपूर्ण काम है!
मैं योजना बनाकर देखता हूँ फिल्म,
लोगों को यह मेरे सारे काम
काम नहीं लगते, परंतु
यह सब मेरे लिए काम हैं!
और मेरे लेखन को तो
बिलकुल ही काम नहीं मानते!
जब कभी मेरे मुंह से
निकल जाता है- ‘लेखक हूँ’
तो वह कहते हैं-
वो तो ठीक है, पर
काम क्या करते हो!
तो मैं कहता हूँ-
लेखन मेरे लिए
सबसे महत्वपूर्ण काम है!
न लिखूँ तो- ‘मैं मर भी सकता हूँ’ !
इस तरह मैं
दुनिया के लिए
ग़ैर ज़रूरी होते हुए भी
अपने लिए एक ज़रूरी
और व्यस्त आदमी हूँ!
पवन तिवारी
२४/०९ /२०२४