यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 31 जुलाई 2018

मित्र, मित्र से भी जलता है



राग द्वेष का भी क्या कहना
दोनों भी जीवन का गहना
मित्र, मित्र से भी जलता है
मुझसे बेहतर उसका रहना

ज़्यादा बातें अपनी कहना
कम में भी कम उसकी सुनना
मित्र से श्रेष्ठ दिखाना खुद को
गढ़ – गढ़ झूठ को सच करना

मित्र चाहता खुश रहूँ मैं
उससे ज्यादा पर न रहूँ मैं
ऐसा किन्तु, परन्तु जो होए
फिर न ह्रदय से मित्र रहूँ मैं

सबसे बुरा मित्र का ताना
लगे हिया में बंद हो जाना
दोनों तने-तने जो रह गये
टूटे उर का ताना – बाना  

एक दूजे को धैर्य से सुनना
थोड़ा कहना ज्यादा सुनना
गुनना कुछ कहने से पहले
तो जीवन भर साथ में हँसना


पवन तिवारी
सम्वाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com



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