यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 13 अगस्त 2021

तुमने कितने गीत सुनाये

दर्द के आगे भूल गये सब क्या-क्या कहाँ-कहाँ पर गाये

तुमको क्या कुछ याद रहा है, तुमने कितने गीत सुनाये

 

पीड़ाएँ जब हद से बढ़ गयीं, तुमने उस पर शब्द सजाये

घाव लगे रिसने  तेजी से, उनको  तब  तुम गीत बनाये

घाव - घाव को  शब्द दे दिया, तड़पन को संगीत बनाये

तुमको क्या कुछ  याद रहा है, तुमने कितने गीत सुनाये

 

सारे ताने, तान बना दिये, और फब्तियाँ गान बना दिये

अपमानों को स्वर में ढाला, गीतों को सम्मान बना दिये

कैसी – कैसी  चोट  मिली  थी, कैसे – कैसे  धोखे पाये

तुमको क्या कुछ याद रहा है, तुमने कितने गीत सुनाये

 

ज्यादातर परछाईं  निकले  अपने  तो  हरजाई  निकले

बारी – बारी  हाथ छुड़ाये, कितने  किरदारों  से  फिसले

थोड़े से जो कुछ आये थे, वे भी थे  अपना  दुःख  लाये   

तुमको क्या कुछ याद नहीं है, तुमने कितने गीत सुनाये

 

 

 

 

किसने  कब - कब कैसे  तारा, सबने  बारी - बारी मारा

पी  जाता मैं सारे  आँसू, पर  सारा  ही  निकला  खारा

रो-रो  कर जो शब्द लिखे थे गा - गा कर थे उन्हें सुनाये

तुमको क्या कुछ याद नहीं है, तुमने  कितने  गीत सुनाये

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

०१/०९/२०२०      

 

 

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