यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 11 अप्रैल 2017

अपने दिल की चाबियाँ दे दो



तुम्हारे दिल में आना चाहता हूँ 
अपने दिल की चाबियाँ दे दो

प्यार तुमसे हो गया तो क्या करूँ
कुछ नहीं तो अपनी हांमियां दे दो

न दोगी तो भी गिला – शिकवा नहीं
चलो कोई नहीं बस अपनी खांमियाँ दे दो

रूठने में  सुकूँ गर है तुम्हें तो रूठ जाओ
मगर तुम रूठने वाली निशानियाँ दे दो

रहो तुम खुस बस इतना चाहता हूँ
बुरी जितनी हैं सब कहानियाँ दे दो

जो तुमको भाये उसकी हो जाओ
जितनी भी हैं तुम्हारी परेशानियाँ दे दो

poetpawan50@com
सम्पर्क - 7718080978


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