बुधवार, 12 अप्रैल 2017

जंगलों में भी उन्हें बाज़ार चाहिए




कुछ लोगों को ना घर ना तो परिवार चाहिए 

बर्बाद करें घर  वो  पैरोकार चाहिए

 बढ़ चली कुछ इस कदर व्यापार की हवस
जंगलों में भी उन्हें बाज़ार चाहिए

बनें हैं चिकित्सक बर्बाद होके वो
लोग उन्हें ढेर से बीमार चाहिए

सेवा के लिए तो नहीं चुनाव लड़े हैं
लूट के लिए उन्हें सरकार चाहिए

उनको न धरम से न करम से कोई मतलब
आपस में लादेन ऐसे कुछ गद्दार चाहिए

 उनको जहीन पढ़े-लिखे की नहीं दरकार
उनको निठल्ले और कुछ बेकार चाहिए

उनके भी पाँव पड़ लेंगे पसंद नहीं जो
बस फायदे के "पवन" कुछ आसार चाहिए

poetpawan50@gmail.com

सम्पर्क - 7718080978    

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