चवन्नी का मेला

चवन्नी का मेला

यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 25 अक्टूबर 2025

प्रेम की छाँव में राम की चाह में

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  प्रेम की छाँव में राम की चाह में जानकी आ गयी गौरी की राह में   गौरी ने पाया जब जानकी को शरण याद आया उन्हें अपना भी आचरण प्रे...
बुधवार, 15 अक्टूबर 2025

तू किसी और की हो गयी

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तू किसी और की हो गयी ज़िन्दगी यूँ लगी खो गयी था लगा तेरे बिन कुछ नहीं तू गयी ज़िन्दगी तो गयी   स्वप्न की रागिनी सो गयी कीमती सबसे ...
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गुरुवार, 18 सितंबर 2025

ज़िन्दगी अब झर रही है

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ज़िन्दगी अब झर रही है चित्र धुँधले   दिख रहे हैं और   कुछ   साथी हमारे देख   हमको   हँस रहे हैं   जो भी साथी हँस रहे हैं वो भी उत...
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शनिवार, 30 अगस्त 2025

घबराने से विचलन होगी

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घबराने से विचलन होगी निज पथ से भी भटकन होगी   जिन दुःख ने हैं साहस तोड़े आओ उनकी बाँह मरोड़ें दुःख कितना भी दाब बनाये धमकी का वह म...
शनिवार, 23 अगस्त 2025

उर सरिता सा कल कल बहता

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अपने हिय का हाल कहूँ क्या जो अक्सर धक धक करता था उस हिय का स्वर बदल गया है उर सरिता सा कल कल बहता प्रेम की भाषा सा कुछ कहता उर सरि...
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बुधवार, 16 जुलाई 2025

सभी मेरे प्रश्नों के तुम ही थे हल

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सभी  मेरे     प्रश्नों    के   तुम  ही  थे हल तुममें ही अपना मुझे दिखता था कल परिचित तो बहुत   एक अपने थे तुम अपने ही   ने अपने से कर ...
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गुरुवार, 26 जून 2025

गौण सा पात्र हूँ मैं

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गौण सा पात्र   हूँ   मैं,   उपन्यास है एक   रेखा हूँ लक्षण हूँ बस , व्यास है किंतु व्यक्तित्त्व इनसे भी मिलकर बने डूबते को तो   तिनकों...

बाबू बाबू कहने वाले

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बाबू बाबू कहने वाले वक़्त पे गायब रहते हैं गैरों को समझाने वाले खुद ही आपा खोते हैं   जिन्हें मंच पे गाते देखा वे जीवन में रोते ह...

जिन दिनों

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जिन दिनों, ज़िन्दगी जी रहा! था सब कुछ अच्छा लग रहा था! जब से ज़िन्दगी कटने लगी है, ज़िन्दगी से ऊब हो गयी है! यह ऊब तो बिलकुल ...
रविवार, 8 जून 2025

सबसे मीठा रस बातों का

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सबसे     मीठा   रस  बातों का सबसे पावन जल आखों का चंदा  दिख  जाता दिन में भी पर  मन  को  भाता रातों का   हिय  ही  काया का केंद्र ब...
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सोमवार, 12 मई 2025

हद से ज्यादा जब अशांति बढ़ जाती है

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हद से ज्यादा जब अशांति बढ़ जाती है बिना युद्ध के शांति नहीं तब आती है शान्ति सभी मोती माणिक से महँगी है कितनों का   जीवन   वैभव खा जाती...
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जन्म-1982 अम्बेडकरनगर ,उत्तर प्रदेश. गत 18 वर्षों से मुंबई में निवास.12 वर्ष की उम्र से लेखन ,पहला

पवन तिवारी
12 वर्ष की उम्र से कविता , कहानी आदि का लेखन, विद्यालयीन प्रतियोगिताओं में भाषण गायन, अन्ताक्षरी, एकांकी आदि में प्रथम . लेखक ,पत्रकार, वक्ता, शोध कर्ता, कई पत्र ,पत्रिकाओं का सम्पादन, फिल्म लेखन, कई पुस्तकों का सम्पादन, आकाशवाणी पर महापंडित राहुल सांकृत्यायन पर विशेष वक्तव्य, देश के सबसे बड़े भजन संकलन भजन गंगा का अतिथि सम्पादन, इंडियन प्रेस कौन्सिल की पहली स्मारिका का सम्पादन आदि
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