यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 13 अप्रैल 2017

खुशियाँ ख़ुशबू सारी दुनियां उनके साथ

















जब थे लाले दिन में फांके उनके साथ

अपने भी तब गैर हो गये उनके साथ

किस्मत ने मुँह मोड़ा था जब उनके साथ
आंसू संग तन्हाई थी तब उनके साथ

अच्छी बातें बोलें भी तो लगे बुरा
जग भर की सारी कमियाँ थी उनके साथ

रात चांदनी दिन सुहाने सबके साथ
खौफ़नाक दिन रात डरावनी उनके साथ

पैदा होने से डरते थे उनके ख़्वाब
सपने भी दूरी रखते थे उनके साथ

जिनको अपना समझा जिनसे उम्मीदें थी
वक़्त पड़ा तब कोई नहीं था उनके साथ

वक़्त ने ली करवट जब आये अच्छे दिन
अन्जानों की भीड़ गई उनके साथ

जो अपने थे गैर हुए थे उनके साथ
आगे पीछे घूम रहे अब उनके साथ

जिसे बताकर कमियाँ उन्हें कोसते थे
उन्हें खूबियाँ बता के मचलें उनके साथ

खुली-खुली आँखों में अब आते हैं ख़्वाब
ख़्वाब भी करते गलबहियाँ अब उनके साथ

सपनों का तो मत पूछो वो मौज़ में हैं
दिन में भी उड़ते रहते हैं उनके साथ

ख़ूबसूरती के पीछे जाने कितने
और ख़ूबसूरती जाना चाहे उनके साथ

सावन शबनम फूल टहल रहे उनके साथ
बदला वक्त तो हर मौसम है उनके साथ

वक्त भला हो तो कदमों में सारा जहाँ
खुशियाँ ख़ुशबू सारी दुनियां उनके साथ

poetpawan50@gmail.com
सम्पर्क - 7718080978

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