यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017

प्यार किये हैं कहते हैं तो मान भी लेते हैं























पर्वत की चोटी पे फतह इतनी भी आसान नहीं
फतह तो ठीक सलामत  आना  इतना भी आसान नहीं

वो  चाहें और हो जाए  वो कोई भगवान नहीं
इंसा भगवन हो जाए ,इतना भी आसान नहीं

हार-जीत तो बाद की बात है असली बात मुकाबले की
लडूं  और मैं हार भी जाऊं इतना भी  आसान नहीं

डींग हाँकना और खूब बढ़ –चढ़ करके  बातें करना
वक्त पड़े पे बात निभाना इतना भी आसान नहीं

बाप चाहते हैं बनना पर मुझे पता है कौन हैं वो
वो कहें और छोड़ दें हम इतना भी आसान नहीं

 प्यार किये हैं कहते हैं तो मान भी लेते हैं
निभा  भी लेंगे ये भी मानूं इतना भी आसान नहीं

आधी रात जवानी की संग मेरे गुजारी है तुमनें
फुर्कत में यूं उम्र कटेगी इतना भी आसान नहीं


सम्पर्क -7718080978


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