यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 23 मार्च 2017

ना कोई पूरा सच्चा ही है ना कोई पूरा झूठा है
































ओह किस तरह से है गाँव को शहर नें निगला
कल तक का मासूम सच आज बेमुरव्वत झूठा है

सच को ढोते-ढोते जिसके कंधे झुक गए हैं
ऊँचे कंधे वाले आज उसको कहते झूठा है

झूठों में सच्चा बनने की होड़ लगी है चारो ओर
कहता है हर झूठा दूजे झूठे से मैं सच्चा तूं झूठा है

मतलब का दस्तूर चल रहा इस बाजारी दुनियां में
ना कोई पूरा सच्चा ही है ना कोई पूरा झूठा है

शक की नज़रों से तुम कब से देख रहे हो दुनिया को
खुद पर भी शक करके देखो कौन सच्चा कौन झूठा है

पवन तिवारी
सम्पर्क -7718080978

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें