यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 23 मार्च 2017

प्यास बिन तेरे मगर किसी और से बुझती नहीं



तेरी सूरत के सिवा कोई सूरत जंचती नहीं 
तेरी ऐसी लत लगी की रात अब कटती नहीं

औरों ने भी की बहुत मैंने भी कोशिश की बहुत
प्यास  बिन तेरे मगर किसी और से बुझती नहीं

कोशिशे करता तो हूँ पर बात ओ आती नहीं
तेरे बिन ये जिन्दगी,जिन्दगी लगती नहीं 

यूँ तो तेरे बिन भी वक्त गुज़ार लेता हूँ
तूं रहती जो साथ तो जिन्दगी खलती नहीं

यूँ तो मेरी आंखों से टकराते हैं कई चेहरे
तेरे सिवा इन आँखों को  और कोई जंचती नहीं

मिलती तो कई हैं पर अंदाज़ अलग है
तेरे मिज़ाज की मगर कोई मुझे मिलती नहीं

कई दीवानी मेरी हैं और हैं मुझपे मरती 
तूं जैसे मरती  है मुझपे  और कोई मरती नहीं

वैसे भी मेरा प्यार तूं है, जग ये जानता
शायद इसी लिए कोई दिलसे मेरे लगती नहीं

पवन तिवारी 

संपर्क -7718080978
poetpawan50@gmail.com




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