यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 25 मार्च 2017

राजगुरू सुखदेव भगत सिंह भारत माँ के दुलारे हैं

मित्रों ये रचना २३ मार्च २०१७ को शहीद दिवस के अवसर पर लिखा हूँ. परमपूज्यनीय भारत माँ के अनन्य सपूत राजगुरू सुखदेव भगत सिंह को मेरी ये रचना समर्पित है ..........

राजगुरू सुखदेव भगत सिंह भारत माँ के दुलारे हैं

भारत की आजादी के ये सूरज चाँद सितारे हैं

गूंज रहे धरती पर अब तक इन्कलाब के नारे हैं
रंग दे बसन्ती गाने वाले हमको जग से प्यारे हैं

राजगुरू सुखदेव भगत सिंह की ये पुण्य कहानी है
देश पे न्योछावर हो जाए सच्ची वही जवानी है

कौन समर्पित कौन है सच्चा कौन यहाँ दीवानी है
असली दीवानी को देखो झांसी वाली रानी है

भारत की आजादी का इतिहास जब लिखा जाएगा
इन तीनों के जिक्र बिना बेकार ही माना जायेगा

राजगुरू सुखदेव भगत सिंह को न भुलाया जाएगा
२३ मार्च की गौरव गाथा बच्चा – बच्चा गाएगा

 वो तो आजादी दे करके चले गये
देश पे अपना शीश चढ़ा कर चले गये

गद्दारों को सबक सिखा कर चले गये
देश प्रेम का पाठ पढ़ाकर चले गये  

फिर से कुछ गद्दार उभर कर आये हैं
उमर आर्निबन और कन्हैया आये हैं

भारत के सपने के टुकड़े देख रहे हैं
सपने नहीं ये अपनी मौत को देख रहे हैं   

ऐसे सांडर्सों का बोलो क्या होगा
देश के ऐसे गद्दारों का क्या होगा


गोरे तो हैं चले गये पर इन कालो का क्या होगा
सांडर्स का हुआ था जो इनका भी हाल वही होगा

पवन तिवारी
सम्पर्क -7718080978
poetpawan50@gmail.com
















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