यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 27 मार्च 2017

ये आये हैं थोड़ा ठहरो वो भी आयेंगे



















ये आये हैं थोड़ा ठहरो वो भी आयेंगे 
मतलब वाले यार नहीं हैं वो भी आयेंगे 

अच्छे बीत गए तो बुरे भी जायेंगे
आने दो बसंत फिर देखो वो भी आयेंगे

जेठ गया,आषाढ़ भी बीता, सावन आने दो
जिनको नहीं है आना “जाना’’ वो भी आयेंगे

लगे रहो बस थोड़ी शोहरत को बढ़ जाने दो
जो पहले कतराते थे फिर वो भी आयेंगे

मतलब सध सकता है तुमसे फिर सब आयेंगे
दुश्मन हैं तो क्या हुआ फिर वो भी आयेंगे

वक्त मुकर्रर है सबका,सब आये जायेंगे
बारी आने दो उनकी फिर वो भी आयेंगे

सम्पर्क-7718080978


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