गुरुवार, 23 मार्च 2017

ना कोई पूरा सच्चा ही है ना कोई पूरा झूठा है
































ओह किस तरह से है गाँव को शहर नें निगला
कल तक का मासूम सच आज बेमुरव्वत झूठा है

सच को ढोते-ढोते जिसके कंधे झुक गए हैं
ऊँचे कंधे वाले आज उसको कहते झूठा है

झूठों में सच्चा बनने की होड़ लगी है चारो ओर
कहता है हर झूठा दूजे झूठे से मैं सच्चा तूं झूठा है

मतलब का दस्तूर चल रहा इस बाजारी दुनियां में
ना कोई पूरा सच्चा ही है ना कोई पूरा झूठा है

शक की नज़रों से तुम कब से देख रहे हो दुनिया को
खुद पर भी शक करके देखो कौन सच्चा कौन झूठा है

पवन तिवारी
सम्पर्क -7718080978

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