यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 5 जनवरी 2023

मैं गीत पवन का प्यारा सा सुनाकर


 


मैं गीत पवन का प्यारा सा सुनाकर

दिल में तेरे गुलाब सा दूंगा प्यार भर

उन्हें सुन के कितने आशिकों की बात बनी है

तू जायेगी संवर सुन लेगी आज गर

 

तू मिले तो जीवन से निकल जाए डर

बरसों तक भटका हूँ बस ही जाए घर

अधरों को तीरथ भी मिल जाएगा

मिल भी जाए गर तेरे माथे का दर

 

सब कुछ है निछावर मेरा तो तुझ पर

बस चाहता हूँ मैं तू ले मुझको वर

फिर कोई दुःख नहीं चिंता नहीं कोई

आसान हो जाये जीवन की सब डगर

 

तेरी प्रतीक्षा में ही हूँ मैं तर – बतर

कानों में भटकती है हवा सरर सर्र

हाँ, सुनने को कब से है तरस रहा दिल

जीवन का मधुर मास जाये न कहीं झर

 

पवन तिवारी

०३/०१/२०२३

 

          

  

 

 

 

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