यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 23 अक्टूबर 2021

तुमने क्या है दिया

तुमने क्या है दिया मैंने सोचा नहीं

है ये निश्चित जियूँगा तुम्हारे लिए

मेरे खातिर किया या  करोगे कभी

मैं करूँगा  सभी कुछ तुम्हारे लिए

 

तुम सदा मुस्कराते गगन में रहो

और  मैं गीत गाऊं तुम्हारे लिए

तुम हो खुश सब हैं खुश जानता हूँ ये मैं

इसलिए सब मेरा है तुम्हारे लिए

 

 

ऐ मेरे राष्ट्र तुमसे  बड़ा कुछ नहीं

ये लहू भाल सब कुछ तुम्हारे लिए

तुम रहोगे, रहे हो, सदा  के  लिए

चाहते ये  ही  सुनना तुम्हारे लिए

 

मोल जीवन का है राष्ट्र का पर नहीं

शीश झुक जाएँ अरबों  तुम्हारे लिए

हूँ मैं  संतान तुम्हरी यही  है बहुत

गर्व होगा  मरूं  यदि  तुम्हारे लिए

 

पवन तिवारी

संवाद- ७७१८०८०९७८

२६/०६/२०२१

 

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