यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 23 अक्टूबर 2021

मेरे गीत सुनाने होंगे

मेरे गीत सुनाने होंगे

 

जब-जब दुःख बहलाने होंगे मेरे गीत सुनाने  होंगे

दुःख की औषधि सदा रहेंगे इसके लेप लगाने होंगे

 दुःख के लाख बहाने होंगे फिर भी उन्हें भगाने होंगे

आशाओं के स्वर  गीतों में  मेरे गीत सुनाने  होंगे

 

जब-जब नयन भरे से होंगे धड़कन के सुर डरे से होंगे

ऐसे  में  आश्वस्ति  से  भरे  मेरे  गीत  सुनाने होंगे

 जो  जीवन से  हारे  होंगे  जो अपनों  के  मारे  होंगे

ऐसे  में  अवलम्ब  के  लिए  मेरे  गीत  सुनाने होंगे

 

जो भी  अधर उदासे होंगे सुख की प्यास के प्यासे होंगे

उनकी प्यास को  तृप्ति  दिलाने  मेरे गीत सुनाने होंगे

 संघर्षों  के  साथी  होंगे  तुम  लौ  तो  ये  बाती  होंगे

भटके हुओं  को  राह  दिखाने  मेरे  गीत  सुनाने  होंगे

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

८/१०/२०२०               

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