यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 25 सितंबर 2021

सार्थक जिन्दगी की तरकीबें

ऐसे लोगों पर

हँसी आती है,

आता है,

कभी-कभी गुस्सा भी!

जो सोचते हैं

या बात करते हैं,

मरने के बारे में

मरना तो है ही

मौत निश्चित है!

मारने वाला

अपने समय पर आयेगा और

मार कर चला जाएगा.

इसलिए कहता हूँ,

जब तक वो नहीं आता

ख़ूब जियो और

सार्थक जिन्दगी के बारे में

तरकीबें निकालो !

जितने दिन जिन्दगी

तुम्हारे साथ है.

उसके साथ

ऐसा व्यवहार करो कि

तुम्हारे बारे में

तुम्हारे मर जाने के बाद भी

तुम पहले से अधिक

ज़िंदा रहो.

लोगों के साथ,

लोगों के बीच,

तुम्हारी  चर्चा

तुम्हारे होने के समय से भी

कई-कई गुना, रोज-रोज हो !

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

२५/०९/२०२०

  

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