जिनकी  बातों  में  विरोधाभास
 है 
उन पर  ना करना कभी विश्वास है 
फिर भी जो तुम
साथ उनके चल दिए 
समझो फिर होना
सहज ही नाश है 
जिंदगी  में तुम को जब तक आस है
समझ  लो सब  कुछ तुम्हारे पास है 
बिन हुए  विचलित सतत चलते रहे 
फिर  तुम्हारा  सारा  ही
आकाश है 
जब तलक जीवित
तुम्हारी  चेतना
झेल   जाओगे    भी   कैसी  वेदना 
तुम मनुज  हो और आगे भी रहोगे 
तुम  में  जब
तक जिंदा है संवेदना 
काल  और  जीवन
में हरदम से ठना 
पर  किसी  को
 जीने से है कब मना 
है  जिजीविषा  जब तलक इंसान में 
मृत्यु  से  भी  जिंदगी   को  है  जना
पवन तिवारी 
संवाद –
७७१८०८०९७८ 
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
 
 
 
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