बुधवार, 26 दिसंबर 2018

जिनकी बातों में विरोधाभास है



जिनकी  बातों  में  विरोधाभास  है
उन पर  ना करना कभी विश्वास है
फिर भी जो तुम साथ उनके चल दिए
समझो फिर होना सहज ही नाश है


जिंदगी  में तुम को जब तक आस है
समझ  लो सब  कुछ तुम्हारे पास है
बिन हुए  विचलित सतत चलते रहे
फिर  तुम्हारा  सारा  ही आकाश है


जब तलक जीवित तुम्हारी  चेतना
झेल   जाओगे    भी   कैसी  वेदना
तुम मनुज  हो और आगे भी रहोगे
तुम  में  जब तक जिंदा है संवेदना


काल  और  जीवन में हरदम से ठना
पर  किसी  को  जीने से है कब मना
है  जिजीविषा  जब तलक इंसान में
मृत्यु  से  भी  जिंदगी   को  है  जना



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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