खेत और खलिहान 
ऊसर और मकान 
मंदिर, कुआँ, जुआठा
जाँत में पिसता आटा 
सरसों के फूल 
बच्चे उड़ाते धूल 
टायर का खेल 
गुल्ली डंडा का मेल 
याद आ रहा है 
दिल मेरा गाँव जा रहा है 
बंदरिया की नाच 
अलाव की आँच
गुड़ का चाटना 
मेड़ का पाटना 
बैलों को हाँकना 
बारात में नाचना 
नदी में कूदना 
रस्सी से फाँदना 
याद आ रहा है 
दिल मेरा गाँव जा रहा है 
चोरी से बेर तोड़ना 
बात बात पर बाँह मोड़ना 
ढेले से मारना 
गाली से तारना 
कल्लू के खेत से गाजर चुराना 
छुपकर के कोने में बताशा खाना 
शाम को बाबूजी का लेमनचूस लाना 
अम्मा का जाँते पर लोकगीत गाना 
याद आ रहा है 
दिल मेरा गाँव जा रहा है 
आठ आने का पलटू से चाट मँगाना 
दोस्तों के पैसे से समोसे खाना 
दोस्त की कोट पहन शादी में जाना 
गुमटी से पान अम्मा के
लिए लाना 
पढ़ाई के लिए बाबूजी का चिल्लाना 
घूमने के लिए पिछवारे दोस्तों का आना 
हारने पर खेल छोड़ कर भाग जाना 
अपनी पारी खेलकर जरूरी काम बताना 
याद आ रहा है 
मेरा दिल गाँव जा रहा है 
मकर संक्रांति पर डुबकी लगाना 
सरयू जी में जाकर खिचड़ी चढ़ाना 
बाबूजी का गरम गरम जलेबी खिलाना 
हाथ पसारे पीछे से माली का आना 
पंडित जी ज्यादा नहीं दे दो चार आना 
कहाँ रोज-रोज है संक्रांति का आना
पंडा  की
कंघी से बाल घुमाना 
पंडा जी का प्यार से टीका लगाना 
याद आ रहा है 
दिल मेरा गाँव जा रहा है
दूसरे के खेतों से गन्ना चुराना 
खेत में खोज-खोज टमाटर का खाना 
तरबूजे वाले को जोर से चिल्लाना 
तरबूजे वाले चाचा जरा इधर आना 
गेहूँ के बदले में दे दो तरबूजा 
बोलो तो दे दूँ अनाज कोई दूजा 
बाइस्कोप वाले का तमाशा दिखाना 
गली गली में घूम के आवाज लगाना 
याद आ रहा है 
मेरा दिल गाँव जा रहा है 
ढलान पर साइकिल दौड़कर चढ़ना 
गलती करके दोष सारा दीदी पर मढ़ना 
मलाई सहित दही की खातिर अम्मा से जिद करना
गुस्सा होने जाने पर पेड़ पर चढ़ना 
अम्मा का मनाना 
कहना दूध भात खाना 
आ जाओ नीचे मामा के यहाँ जाना 
मेरा खुश हो के पेड़ से नीचे उतर आना 
याद आ रहा है 
मेरा दिल गाँव जा रहा है 
क्या क्या बताऊँ
कहाँ- कहाँ जाऊँ
एक एक दृश्य सब नाच रहा है 
याद आ रहा है 
मेरा दिल गाँव जा रहा है
पवन तिवारी 
संवाद – ७७१८०८०९७८ 
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
 

 
 
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