वो  हमें  देखे
 तो   प्यार   होने  लगा
समझे   हमको  तो
  बाज़ार  होने लगा 
एक  दिन  फायदा
 हो  गया  रिश्ते  से 
फिर तो रिश्तों  का कारोबार  होने  लगा 
सजा होनी थी पर  तालियाँ  मिल गयी 
वही फिर  उनसे  बार - बार होने लगा
घर की  ख़ुशबू जो बाहर
गली तक गया 
घर  की  चौखट  पे  दरबार  होने लगा 
बा   कमाल  ही
 है  ये  रईसी  रकम 
वो  जो जलती थी  इजहार  होने  लगे 
ये  मोहब्बत  बीमारी  ग़जब   साहिबों 
दुश्मनों  से  उन्हें  प्यार   होने  लगा 
पवन तिवारी 
संवाद – ७७१८०८०९७८ 
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
 
 
 
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