रविवार, 23 दिसंबर 2018

वो हमें देखे तो प्यार होने लगा


वो  हमें  देखे  तो   प्यार   होने  लगा
समझे   हमको  तो   बाज़ार  होने लगा

एक  दिन  फायदा  हो  गया  रिश्ते  से
फिर तो रिश्तों  का कारोबार  होने  लगा

सजा होनी थी पर  तालियाँ  मिल गयी
वही फिर  उनसे  बार - बार होने लगा

घर की  ख़ुशबू जो बाहर गली तक गया
घर  की  चौखट  पे  दरबार  होने लगा

बा   कमाल  ही  है  ये  रईसी  रकम
वो  जो जलती थी  इजहार  होने  लगे

ये  मोहब्बत  बीमारी  ग़जब   साहिबों
दुश्मनों  से  उन्हें  प्यार   होने  लगा

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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