यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2018

जिंदगी कैसे कैसे गुज़ार देते हैं

























जिंदगी   कैसे   कैसे  गुज़ार  देते  हैं

हम  यूँ  ही  ख़ुद  को  मार  देते  हैं ।।


दोस्तों  ने  ही  कुरेदें  हैं  सारे  ज़ख्म ।

क्यूँ दुश्मनों को दुश्मन करार देते हैं ।।


क्यों  जवानी में छाता है ये फितूर ।

न दे जो भाव उसे ही प्यार देते हैं ।।


आज़माने के लिए आज़माते फ़कत
ऐसों  को  क्यों यूँ  ही इक़रार देते है।।


कद्र नहीं इश्क के आधे श की भी ।
उन्हें क्यों इश्क का बाज़ार देते हैं।।


इश्क़ भी हुनर इक है“पवन”आओ ।
हम तुम्हें  इश्क का औजार देते हैं ।।

पवन तिवारी
संवाद -7718080978
अणु डाक-poetpawan50@gmail.com

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