यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 10 जुलाई 2018

पावस का यह अनुपम मौसम


पावस का यह अनुपम मौसम
दुर्लभ हो गया अपना संगम
पवन झकोरे बारिश के संग
रिमझिम-रिमझिम लहरे ये मन

कितने बरस हुए प्रीत निभाये
सावन के संग गीत न गाये
कसक हिया में कसक के रह गयी
इस पावस भी तुम न आये

झींसी रिमझिम - रिमझिम गाये
अंग - अंग में अगन लगाये
टिप - टुप पड़ें मेंह की बूँदें
तरुणाई का मन ललचाये

ये सावन भी रीत न जाए
प्रणय भरा मन खीझ न जाए
सावन से पहले आ जाओ
अब की चाहे कुछ हो जाए

ये अभिलाषा मर ना जाए
उर का अमिय सूख न जाए
सारे बंधन तोड़ के आओ
तुम बिन सावन जिया न जाए  

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com

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