यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 10 जुलाई 2018

तुम कहानी मैं उसका बस इक पात्र हूँ



तुम कहानी मैं उसका बस इक पात्र हूँ
पात्र  हूँ  पर   चरित्र  में  उद्दात   हूँ
मेरे  बिन  नाम  की  बस रहेगी कथा
किन्तु  जीवित  कहानी  का मैं प्राण हूँ

तुमको गौरव है सौन्दर्य की देवी हो
मानता  रूप की , प्रेम की कवी हो  
किन्तु , मैं शब्द हूँ प्रेम के रूप का
शब्द बिन तुम प्रिये नाम की कवी हो

प्रेम  के रामायण  की  अनुवाद  हो
तुम तो मानस हो जग में अपवाद हो
मुझको तुलसी समझ के स्वीकारो प्रिये
प्रेम  अपना  ऋचाओं  का  संवाद  हो

कामपत्री  हो  तुम , मैं अनंग प्रिये
तुम  धरा  हो तो मैं हूँ अनन्त प्रिये
आचरण , इच्छा , मन है पवित्र प्रिये
है निवेदन , बना लो मुझे,  कंत प्रिये
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com  

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