यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 23 जनवरी 2017

माँ ना जाने उसको अक्सर क्या - क्या कहती है




























माँ ना जाने उसको अक्सर क्या - क्या कहती है

 मेरे कारण ना जाने वो क्या - क्या सहती है 


माँ,भाई ,बहनें सबकी नज़रों में रहती  है

 करती है चुपचाप सभी की फिर भी सुनती है 


दिन भर सब की फरमाइश पर नाचती रहती है

 'बेसऊर है' सास से ताने सुनती रहती है 


जब से आयी है जाने क्या जादू कर दी है

 मेरे बेटे को अपने कब्जे में रखती है 


शादी से पहले तो अम्मा -अम्मा करता था

 लगी है जब से हल्दी बीवी की हाँ में हाँ रहती है 


बहनें हुई विदा सब भाई हाथ छुड़ाए

बुरे वक्त में सब छूटे बस बीवी रहती है 



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सम्पर्क -7718080978

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