यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 6 जुलाई 2022

जब तेरे प्यार से गुजरते हैं

जब  तेरे  प्यार  से  गुजरते  हैं

तब  जरा और ही   संवरते  हैं

प्यार का सिलसिला जो चलता है

रोज दर  रोज  हम निखरते हैं

 

ये  तेरा   प्यार   जैसे   उबटन  है

फिर से आया कि  जैसे  बचपन है

पहले  उलझन  तनाव    जैसा था

अब तो हर्षित खिला खिला मन है

 

लगता  है  हम  नसीब  वाले  हैं

कट  गये  ज़िन्दगी  के  जाले  हैं

तेरे  मिलने  से  ऐसा  लगता है

बंद  किस्मत  के  खुले  ताले  हैं

 

प्यार  को  यूँ  बनाये  रखना है

प्रेम  के  संग  -  संग  बहना  है

अच्छे जीवन की प्रबल औषधि ये

इससे  अच्छा  न कोई गहना है

 

पवन तिवारी

२४/०१/२०२२

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