यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 29 जनवरी 2022

द्वार पर तुम्हरे सदा आता रहा हूँ मैं

द्वार पर तुम्हरे सदा  आता  रहा हूँ मैं

ज्ञान के मोती  सदा  पता  रहा  हूँ  मैं

तुम्हारी महिमा है अनंत अकथ्य माते

किन्तु  दो  वरदान  कि  गाता  रहूँ मैं

 

शांति  का  संदेश  जग को  दे  सकूँ मैं

राष्ट्र  को  उदात्त  गौरव  दे   सकूँ  मैं

भारती के  लाल फिर से जग सकें माँ

ऐसे कुछ  संवाद फिर  से  दे  सकूँ  मैं

 

तिमिर का  फैलाव  होता जा रहा है

सत्य का  अवसान  होता जा रहा है

सत्य के दीपक का मुझको शस्त्र दे दो

धरणी का अपमान  होता जा रहा है

 

छल से पोषित ह्रदय को भी धवल कर दो

चाहता  हूँ  कोंपलों   सा  नवल  कर   दो

मानवीपन जग में फिर से  व्याप्त  हो  माँ

अपने  करुणा  शस्त्र  से तुम कँवल कर दो  

 

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

०४/१२/२०२०

 

 

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