यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 29 जनवरी 2022

कथ्य बिन क्या कथा

कथ्य बिन क्या कथा

तेरे बिन सब व्यथा

प्रेम को शब्द की है जरूरत नहीं

प्रेम में मौन भाषा की लम्बी प्रथा

 

मौन तेरा प्रिये प्रेम अनुवाद है

एक क्षण देख लेना भी संवाद है

प्रेम भाषाएँ होती अनंत प्रिये

जग में सबसे चटख प्रेम का स्वाद है

 

जो नहीं जानते होते दुश्मन  वही

प्रेम पाते बदल जाता है मन वही

जिसको इसकी लगी,फिर लगी रह गयी

मन रहे दूसरा रहता तन है वही

 

प्रेम ईश्वर की सुंदर प्रथम  भूमिका

प्रेम ईश्वर की पावन परम नायिका

ऐसे में प्रेम का  आओ  आदर  करें

स्वर मिलाओ बनो प्रेम की गायिका

 

पवन तिवारी

संवाद- ७७१८०८०९७८

२८/११/२०२०

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