यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 22 अप्रैल 2020

करिखा से कई

करिखा से कई  द्या     उजियारा
मईया   अइली  तोहरे      दुआरा

अइसन वइसन कइसन  होई  जायें
उसरो ज्ञान से हरियर  होई   जाये
अनपढ़   आन्हर    और   गूंगन
काली  सूर   कबीर   होई   जाये

किरपा  होय  तअ   मूरख   पंडित
क्रोध  मोंह मद  कई  द्या खण्डित
मीठ – मीठ बीन बजावै वाली मइया
अदनो  भी  होई    जाये    मंडित

तोहरे  असीस  से  मन होये उज्जर
होय  उछिन्न  बुरा  सब    चक्कर
सुरसती    मइया    तुहैं   गोहराई
खट्ट  है  मनवा  कइ  द्या  शक्कर



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

अणु डाक – poetpawan50@gmail.com  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें