यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 16 अक्टूबर 2019

तेरी एक नज़र


तेरी एक नज़र जो मिलती
जीने का मतलब  मिलता
फटे-फटे से इस जीवन को
तेरे  प्रेम  से  मैं सिलता  

वैसे भी मरना था मुझको
तू मिलती तो कम मरता
काँटे  भर  रखे  थे मैंने
थोड़ा  फूलों  को  भरता

प्रेम भी ज़हर मगर मीठा है
जिसे  मिले  वो  जाने  है
मुश्किल इसकी बस इतनी है
बहुत ही  कम  को माने है

वैसे तो मरना नहीं अच्छा
पर सच में सबको मरना है
ऐसे में तेरा प्यार मिले तो
मरने से फिर क्या डरना है

इतने  में  बस  इतना  समझा
कुछ भी हो यदि प्यार मैं करता
उस पर तेरा प्यार  जो मिलता
कुछ भी पर  कविता ना करता


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत   

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