यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 30 सितंबर 2019

यूँ ही बनती है बात


यूँ ही बनती है बात यूँ ही बनाते रहिये
आयेगा दिल किसी का बस यूं ही गाते रहिये

किसी को तेल लगाने की जरूरत क्या है
फूल सरसो के मगर यूं ही खिलाते रहिये

दोस्ती ना सही दुश्मन भी न होंगे कोई
आते - जाते हुए तो हाथ मिलाते रहिये

प्यार से कम नहीं होनी भी दोस्ती उनसे
आते-जाते हुए घर उनके भी जाते रहिये

प्यार में मस्का लगाओ तो मजा आता है
मान जाती हैं पवन दिल से मनाते रहिये


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत  

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