यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 4 नवंबर 2018

हम ने तेरे दिल में




हम ने तेरे दिल में मक़ाम कर लिया
बता पता  कैसे  तेरा  नाम कर लिया
प्रेम किया सच्चा नहीं की है दिल्लगी
फ़क़त तेरे लिए सुबह-शाम कर लिया

तेरी नज़र मेरी नज़र यूँ जो मिल गयी
भावना  की  रेल  दिल  तक चली  गयी
फिर साफ़-साफ इक दूजे को दिख गया
मेरी तुझमें  तेरी मुझमें  जान  आ गयी

जब हो ही गया प्यार  फिर है खुला इक़रार
कोई  कहे  कुछ  भी  सच  तो  है हमें प्यार
नया है जमाना खुला खुला कोर्ट का दरबार
नियम    से    निबाहेंगे    प्यार   में   तकरार

प्यार  बढ़ेगा  तो  फिर  परिवार  बढ़ेगा
खर्चों  का  जानम फिर  आसार  बढ़ेगा
मिलकर  चलाएंगे  हम  प्रेम  की गाड़ी
देख  लेंगे  जो   थोड़ा   उधार  बढ़ेगा

सोच  लिया  इतना किया नहीं कुछ
बढ़े  मामला  इससे  पहलें करें कुछ
प्यार में जानम थोड़ा धन भी चाहिए
सात फेरों से पहले काम कर लें कुछ

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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