यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 5 नवंबर 2018

वन,उपवन,सरिता,तड़ाग,सब


वन,उपवन,सरिता,तड़ाग,सब
मरू गिरि जलधि वृक्ष जलचर सब
वारि, धरा, शून्य, जड़,चेतन
इनसे जीवन, जगत, जीव सब

दया, नेह, करुणा, नैतिकता
हो सहयोग, दान, सहिष्णुता
जीवन में हो स्वस्थ स्पर्धा
हो विजयी सच्चीकर्मठता

बिन नैतिकता शून्य है शिक्षा
बिन लगाम बैरी है इच्छा
हो शिक्षा का मूल मनुष्यता
वरना शिक्षा स्वार्थ की कक्षा

संबंधों का मोल है तब तक
आपस में सौहार्द है जब तक
बिना नेह ना कोई रिश्ता
बिना सनेह निभेगा कब तक

जीवन तो सबका कटता है
बहुतों का जीवन निभता है
किन्तु तुम्हें जीना यदि जीवन
केवल तब तो प्रेम चलता है

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail .com


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