यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 24 अक्टूबर 2021

कौन कहता है अब दिल हमारा है

कौन कहता है अब दिल हमारा है

ये किसी और दिल का सहारा रहा

लूट कर ले गया पूरे  अधिकार से

रूह  जाने  से  तन  बेसहारा रहा

 

कुछ हमारा रहा कुछ तुम्हारा रहा

दोनों का आधा आधा किनारा रहा

साथ में  हँसते हैं  साथ में रोते हैं

अपना  अंदाज  थोड़ा  आवारा रहा

 

चाँद कुछ ही दिनों  तक सितारा रहा

आसमां कुछ दिनों तक ही प्यारा रहा

प्यार को अपने छत पे जो ले आया मैं

चाँद  तारों  का  फीका   नज़ारा रहा

 

यूँ  ख़ुमारी  रही  यूँ  असर  भी रहा

ऐसे सपनों में कुछ दिन बसर भी रहा

बाद में यदि  सम्भाले गृहस्ती न तुम

सबसे त्रासद  इशक  का हसर भी रहा

 

पवन तिवारी

संवाद- ७७१८०८०९७८

१७/०४/२०२१  

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