यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 27 अक्टूबर 2018

सबसे आसाँ प्रेम है करना


सबसे आसाँ प्रेम है करना , उससे  मुश्किल  उसको पाना है
ये पाना उससे मुश्किल नहीं है,सबसे मुश्किल प्रेम निभाना है
ये महत्व की बात ही नहीं है , हमने किसको कितना चाहा है
सबसे अच्छी बात है ये अपनी कि कोई है जो हमको चाहा है

जग भर में वो एक है केवल जो , जिसने केवल मुझमें  गुण देखे
और बहुत से हैं  जग में सुंदर , पर  उसने  केवल  मुझमें  दिखे
ऐसे प्यार को प्यार करें जग भर,जग की खुशियों से उसको भर दें
प्रेरित  हो सच्चे प्रेमी जग के , पोर - पोर उसे प्रेम के रंग रँग दें 

प्रेम ही है जो जीवन को सचमुच,सुखमय - सुखमय सा कर देता है
जीवन में  मुश्किल  जो कुछ  भी है प्रेम वो सब  हल कर देता है
प्रेम के प्यासे जीव - जन्तु सब हैं, सबको  प्रेम से किसन नचाते हैं
सच्चे प्रेम से गरल  भी हार गया,  मीरा  को  खुद  प्रभु  बचाते हैं

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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