यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 27 सितंबर 2018

ह्रदय का दर्द


ह्रदय का दर्द बढ़कर असह्य जब हुआ
गीत  के  रूप  में  वो प्रकट तब हुआ
ये  जो  जग  दीखता  वैसा है ये नहीं
गीत  सुनकर  बहुत ही प्रफुल्लित हुआ

लेके  अपना  हुनर  घूमता  मैं हुआ
बस्ती–बस्ती नगर ना किसी का हुआ
खीझा और थक गया दर्द भी बढ़ गया
ऐसे में गीत का तब ही उदभव हुआ

दिल ने पूछा हुनर असफल क्यों हुआ
पारखी ना  मिला  हुनर  बेबस  हुआ
बेचूँगा   दर्द  तब  ये  किया  फैसला
गीत  लाया  मैं  बाज़ार दुःख भी हुआ

जग है दुःख से भरा आभाष हुआ
दर्द जो गीत बन जग दुलारा हुआ
गीत बिकने लगा थोक के भाव से
दर्द जब गीत बन करके साया हुआ

दर्द  मेरा  रहा  गीत  उनका  हुआ
गीत समझें जो वो तो बुरा क्या हुआ
आख़िरी  सांस  तक दर्द  ही गाऊँगा
जग का मेरा  यही हमसफर है हुआ

जो हुआ सो हुआ समझो अच्छा हुआ
मेरा घर पल गया सबसे अच्छा हुआ
अब तो  मैं रोज  ही दर्द हूँ बेंचता
बीबी बच्चे हैं खुश बेचकर खुश हुआ  

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

   

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