यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 25 अगस्त 2018

इस क़दर प्यार



इस क़दर प्यार से डर ठहर जाइए
प्यार तो करिए थोड़ा निखर जाइए

बात ये बात वो, कहना ये कहना वो
अटकेंगे कब तलक, प्यार पर जाइए

शाम में, बाद में , मैं बताता हूँ कल
ये है क्या कहिये हाँ या मुकर जाइए

दिन गुजर ही गया रात होने को है
आप से होगा ना , आप घर जाइए

देख लूँगा , करूँगा , ये हो जाएगा
या तो चुप रहिये या कर गुज़र जाइए

जो बुरी लगती है जिन्दगी ये पवन
दोस्ती कीजे या , जीत कर  जाइए

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail

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