शनिवार, 25 अगस्त 2018

इस क़दर प्यार



इस क़दर प्यार से डर ठहर जाइए
प्यार तो करिए थोड़ा निखर जाइए

बात ये बात वो, कहना ये कहना वो
अटकेंगे कब तलक, प्यार पर जाइए

शाम में, बाद में , मैं बताता हूँ कल
ये है क्या कहिये हाँ या मुकर जाइए

दिन गुजर ही गया रात होने को है
आप से होगा ना , आप घर जाइए

देख लूँगा , करूँगा , ये हो जाएगा
या तो चुप रहिये या कर गुज़र जाइए

जो बुरी लगती है जिन्दगी ये पवन
दोस्ती कीजे या , जीत कर  जाइए

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail

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