यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 23 अगस्त 2018

उठो समय मत व्यर्थ गँवाओ
















उठो समय मत व्यर्थ गँवाओ
जीवन  को  उत्कर्ष  बनाओ
यूँ ही जय - जयकार न होती
सत्य  कर्म  उद्दात   बनाओ

जीवन तो प्रतिक्षण है घटता
पर इच्छा का बोझ है बढ़ता
ताल मिला जो समय की गति से
तब ही जीवन पर्व है बनता

लालच पुष्प तो प्रतिदिन आता
ईर्ष्या  ,पाप को संग  ये लाता
जब  धैर्य  को धारण कर पाए
तब शनै – शनै  है  धर्म आता

जब  धैर्य,  धर्म  संगी   होंगे
फिर  सही  मार्ग पर हम होंगे
जीवन  के  पुष्प  खिलेंगे तब
तब  सच्चे  मानव  हम  होंगे

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com


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