यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 15 अगस्त 2018

नए उमर के नये कवि अब प्यार मोहब्बत लिखेंगे

















नए उमर के नये कवि अब, प्यार मोहब्बत लिखेंगे
गाँव जवार तो पिछड़ा लगता सिटी शहर ही लिखेंगे
देशभक्ति और राष्ट्रवाद उनके लिए केवल हैं जुमले
ऐसों से उम्मीद करें क्या भगत , सुभाष ये लिखेंगे

जिनके कविता का आँगन बस जिस्म तलक ही फैला है
जूलियट पश्चिम देख रहे वे, दिखें न पूरब लैला है
सरोकार  से डरे हुए जो , रोजगार पर मरे हुए जो
कविताई में धर्म - भेद है, कवि भी हुआ कसैला है

लेखन को खुद लेखक ने ही दायाँ-बायाँ कर डाला
काले - काले अक्षर को भी हरा केसरिया कर डाला
लोक गौण है लोकतंत्र में सत्य साफ़ मैं कहता हूँ
लेखक का भी औने-पौने मिलकर सौदा कर डाला

पत्रकारिता की लाश पर , नया वृक्ष है उगा मीडिया
कहलाता स्तम्भ था चौथा उसको इसने किया डांडिया
अंगरेजी  चश्में  लोग जो,  लगे देखने  भारत  को  
ऐसे में भारत की लाश पे खडा हो गया नया इंडिया

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com

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